बस्ती जिले में सरकारी धन के लूट की खुली छूट, ग्राम पंचायत पोखरभिटवा में 11 लाख का घोटाला,दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं

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लखनऊ।रिश्वत खोरी औऱ कमीशन की हिस्सेदारी ने विकास की नींव को खोखला कर दिया है कमीशन का काला बाज़ार गांव को दीमक की तरह खा कर धीरे धीरे विकास का नाश्ता नाबूत करने के कगार पर हो चुका है विकास के नाम पर लूट ही लूट मची है मगर विकास अपने ही लूटने का विलाप करता नजर आ रहा है।

विकास विलुप्त है भ्रष्टाचार का परचम जगह जगह देखने को मिलता है, विकास की गंगा बहाने के संकल्प के नाम पर चुनाव मैदान में आते है प्रधान, एजेंडा विकास का होता है और चुनाव जीतने के बाद विकास को ही दीमक की तरह खाकर खुद का जेब भरने में लग जाते है प्रधान जी
चुनाव के वक़्त जो विकास के बड़े बड़े वादे करते है जैसे ही जनता मौका देती है खुद के विकास का एजेंडा लेकर काम शुरू हो जाता है प्रधान का।ऐसा ही एक सनसनीखेज खुलासा जांच दौरान उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के एक ग्राम पंचायत में हुआ है।जंहा प्रधान और सेक्रेटरियों ने जनता के धन को खूब जमकर लुटा है और अपना जेब भारी किया है।

उत्तर प्रदेश का बस्ती जिला ऐसा है जंहा घोटालेबाज सरकारी धन को डकार कर बैठे हैं जांच में जांच टीम ने फर्जीवाड़ा साबित करते हुए जिलाधिकारी बस्ती को जांच रिपोर्ट सौंपी है जिसमे 11 लाख की रिकवरी का आदेश तत्कलीन डीएम आशुतोष निरंजन व वर्तमान जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने घोटाले की धनराशि को वसूलने व घोटाले बाज पूर्व प्रधान तथा सचिवों पर कार्यवाही करने का आदेश दिया है।

मामला बस्ती जिले के विकास खण्ड सल्टौआ गोपालपुर के ग्राम पंचायत पोखरभिटवा का हैं जंहा पूर्व प्रधान विजय लक्ष्मी चौधरी ,सेक्रेटरी रामकांत वर्मा,राजन चौधरी, निशात अफरोज के कार्यकाल में बिना कार्य कराये फर्जी भुगतान किया गया हैं कंही परियोजना का नाम बदलकर तो कंही श्रम दान किये हुए कार्य का एक ही हफ्ते के भीतर फर्जी भुगतान किया गया है इतना ही नहीं ग्राम पोखरभिटवा में मदरसे से रामलौट के घर तक खड़ंजे का निर्माण दिखाकर फर्जी भुगतान हुआ जबकि मौके पर खड़ंजा लगा ही नहीं है। साथ ही ऐसे बहुत सारे परियोजना हैं जिसका कार्य एक ही है,नाम बदलकर भुगतान दो से तीन बार लिया गया है।इतना ही नहीं ग्राम पंचायत में 20 सोलर लाइट कागजों में लगायें गए पर जांच में मौके पर दो सोलर लाइट जांच टीम को मिले है, सोलर लाइट के नाम पर दो लाख का फर्जी भुगतान किया गया है।
पूर्व प्रधान का खेला यंही नहीं रुका बिना बिजली कनेक्शन के ही ग्राम पंचायत के गांवों में स्ट्रीट लाइट लगवाया गया लाखों रुपये का स्ट्रीट लाइट के नाम पर फर्जी भुगतान ले लिया, मगर जांच में इसका खुलासा हुआ कि विद्युत चोरी करके लाइटों को तीन चार सालों से जलाया गया है,अधिकारी के जांच दौरान ग्राम पंचायत में मात्र 25 स्ट्रीट लाइट मिले है।

श्रम दान किये गए कार्यों की एसडीएम भानपुर ने मजिस्ट्रेट जांच कराई, मजिस्ट्रेट नायब तहसीलदार के,के मिश्रा को एसडीएम ने जांच सौंपा नायब तहसीलदार ने मौके पर पहुंच कर जांच किया फर्जीवाड़ा सामने आया,मौके की स्थिति तथा अभिलेखों की जांच करते हुए नायब तहसीलदार ने स्पष्ट जांच आख्या एसडीएम को दे दिया, एसडीएम ने कार्यों में हुए अनिमियता पर सीडीओ बस्ती को कठोर कार्यवाही का पत्र लिखकर कार्यवाही करने की बात कही है।
युवा शक्ति उत्तर प्रदेश के प्रदेश सचिव की शिकायत पर जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई है।जिले के कई विभागों की संयुक्त जांच टीम ने मौके पर जांच कर 11 लाख रुपये के सरकारी धन गबन की पुष्टि किया है ना तो अभी घोटाले में सम्लित सेक्रेटरियों पर कोई कार्यवाही हुई,न ही पूर्व प्रधान पर जिसे यह साबित होता है कि सेक्रेटरियों का काकस विकास भवन पर है व जिला प्रशासन पर काफ़ी दबदबा है जिला प्रशासन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का प्रतीक बन रहा है।
जांच में दोषी पाये जाने के बाद भी न तो पूर्व प्रधान विजय लक्ष्मी चौधरी पर कोई कार्यवाही हुई ना ही फर्जीवाड़े में सम्लित सचिव रमाकांत वर्मा, राजन चौधरी, निशात अफरोज पर एफआईआर दर्ज हुआ, न ही सेक्रेटरी सस्पेंड हुए, न ही कोई सरकारी धन की वसूली अभी तक की गईं, घोटाले के धनराशि वसूली का आदेश डीएम बस्ती ने दिया है परंतु वह आदेश विकास भवन तक फ़ाइलों में सिमट कर बैठा है, कार्यवाही का आदेश जिला पंचायत राज अधिकारी बस्ती व जिला विकास अधिकारी के कार्यालय में लचर व्यवस्था का प्रतीक बनाकर सिर्फ फाइलों में सिमटा हुआ है।सेक्रेटरियों के डर और दबदबे के आगे विकास भवन के दोनों कार्यालय विवश और बहुत ही मजबूर हैं की ऐसे सेक्रेटरियों पर कार्यवाही करें भी तो कैसे करें,जबकि डीएम और सीडीओ ने जिला पंचायत अधिकारी तथा डीडीओ बस्ती को कार्यवाही करने का आदेश लगभग 7 से 8 महीने पहले दिया है।विकास भवन बस्ती व ब्लाक के कुछ अधिकारी व कर्मचारियों का भ्रष्ट सेक्रेटरियों से मोह भंग नहीं हो रहा है वो सेक्रेटरियों को बचाने के लिए अपनी कुर्शी की ताकत का पूरा जोर लगाकर कार्यवाही की फाइल बस दफ्तरों में ही रखने का कार्य अच्छे ढ़ग से करके यारी निभा रहे हैं और इन्हीं के बलबूते सेक्रेटरियों के हौसलें में इज़ाफ़ा हुआ है वो फ्रॉड करके भी बिना किसी कार्यवाही के अपनी नौकरी मन माने ढंग से करते हुए धड़ल्ले से ग्राम पंचायतों में नियम कानून के ताख पर रखकर कुछ काम के तथा बिना काम के फर्जी भुगतान किये जा रहें है क्योंकि उनके हौसलें बुलन्द है औऱ उनको यह पता है कि घोटाला सिद्ध है फिर भी कुछ नहीं हुआ तो हम लोगों का आगे भी कुछ नहीं होगा।

देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी का ना खाऊंगा ना खाने दूंगा का दावा बे असर होता दिखाई पड़ रहा है,घोटाले के दोषियों पर कोई कार्रवाई ना होना जिले में भ्रष्टाचार को पनपाने का काम किया जा रहा है जिससे सरकार की नीतियों एवं भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस के अभियान की जमकर अधिकारियों द्वारा धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस जिले में पूरी तरह फेल नजर होता आ रहा है मुख्यमंत्री जी जरा बस्ती जिले के इस प्रकरण पर अपनी नज़र करिये यहां तो लूट के लिए खुली छूट दी गई है।ग्राम पंचायत में विकास के नाम पर कमीशन खोरी चरम सीमा पर है हिस्सेदारी के चक्कर मे कागजों में विकास की गंगा बही मगर जमीनी हकीकत पर कुछ भी नहीं है।

ऐसे घोटाले बाज पूर्व प्रधान विजय लक्ष्मी चौधरी व सेक्रेटरियों को सलाखों के पीछे होना चाहिए मगर इतना डकारने के बाद भी कोई कार्यवाही हुए बिना सब अपनी अपनी जगह मेवा खाकर अपनी ज़िंदगी गुजार रहें है।

पूर्व प्रधान का तो विकास के नाम पर मेवा खाते खाते कार्यकाल समाप्त हो गया मगर सेक्रेटरी तो आज भी धड़ल्ले से विकास के नाम पर मेवा खाकर अपनी सरकारी सेवा देते हुए ग्राम पंचायतों में लूट मचाये हुए हैं।जिले में घोटाले में चर्चित ग्राम पंचायत पोखरभिटवा में काफ़ी अनिमियता पाई गयी घोटाले के चलते सुर्खियों में आया ग्राम पंचायत पोखरभिटवा बस सुर्खियों तथा चर्चाओं में रहकर सिमट गया संविधान को दरकिनार कर घोटाला फाइलों में दफना कर रख दिया गया है चर्चे हजार और वेसुमार हुए मगर कार्यवाई शून्य है।सूत्रों की माने तो घोटाले में शामिल एक सेक्रेटरी कहते हैं कि पैसा बोलता है पैसा कार्यवाही रोकता है उनका ये दावा सच प्रतीत होता नजर आ रहा है।

युवा शक्ति के प्रदेश मंत्री व शिकायतकर्ता अजीत प्रताप सिंह का कहना है कि मेरे शिकायती पत्र पर जांच हुआ जिले की जिला स्तरीय जांच टीमों ने जांच में घोटाला सिद्ध करते हुए रिकवरी निकाला है जिलाधिकारी ने भी सेक्रेटरियों तथा पूर्व प्रधान पर कार्यवाही का आदेश दिया है मगर डीसी मनरेगा कार्यालय में कई वर्षों से उसी कार्यालय में जमे कुछ लिपिक फाइलों को दबाकर सेक्रेटरियों को बचाने में लगे है,साथ ही डीपीआरओ कार्यालय में भी यही खेला खेला जा रहा है कई महीनों से,क्यों कार्यवाही करने या पूर्व प्रधान तथा सेक्रेटरियों पर एफआईआर दर्ज कराने के मामले को दफ़्तरें दरकिनार कर रहें है दोनों दफ्तर घोटाले बाजों को बचाने के फिराक में है।इस प्रकरण को लेकर हमारा प्रतिनिधित्व मंडल जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाराज से मुलाकात करेगा मुख्यमंत्री जी के सामने या प्रकरण रखा जाएगा साथी दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की जाएगी।


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